DETAILS, FICTION AND BHAIRAV KAVACH

Details, Fiction and bhairav kavach

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वाद्यं वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ।

कृपां कुरु जगन्नाथ वद वेदविदां वर ॥ २॥

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'  

पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।

न देयं परिशिष्येभ्यो कृपणेभ्यश्च शङ्कर ।

भक्तियुक्तेन मनसा कवचं पूजयेद्यदि ॥ २५॥

उन्मत्तभैरवः पातु हृदयं मम सर्वदा ॥ १७॥

The sadhak lives such as the life of Kubera and turns into triumphant everywhere. The Sadhak life a daily life free from problems, incidents, and health here conditions.

ॐ पातु नित्यं शिरसि पातु ह्रीं कण्ठदेशके ॥ १०॥

वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः।।

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रक्षाहीनन्तु यत् स्थानं वर्जितं कवचेन च

आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः

भीषणास्यो ममास्यं च शक्तिहस्तो गलं मम

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